NMOPS

NMOPS क्या हैं? इसका क्या उद्देश्य हैं?? आओ जानते हैं।

दोस्तों! NMOPS का फुल फॉर्म होता हैं- NATIONAL MOVEMENT FOR OLD PENSION SCHEME. एनएमओपीएस के बारें में जानने से पहलें हम सरकारी कर्मचारियो के लिए पेंशन की कुछ मोटी-मोटी जानकारी ले लेते हैं!

आओ जानतें हैं।

अगर आप जनवरी 2004 से पहलें के सरकारी कर्मचारी हैं तो आपको OPS (ओल्ड पेंशन स्कीम) के तहत सेवानिवृत्ति के बाद अन्तिम सैलरी का 50% पेंशन के रूप मे आजीवन मिलेगा! और यदि आप जनवरी 2004 के बाद के सरकारी कर्मचारी हैं तो आपको NPS (न्यू पेंशन स्कीम ) के तहत पेंशन मिलेगी! इस स्कीम में आपको कितनी पेंशन मिलेगी यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पा रहा हैं!

बता दे कि जनवरी 2004 में NDA सरकार के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकारी कर्मचारियों के लिए वर्षों  से चली आ रही पुरानी पेंशन योजना अर्थात् OPS की जगह शेयर बाजार पर आधारित एक नई पेंशन योजना का अध्यादेश के जरिए शुभारंभ किया जिसका नामकरण न्यू पैशन स्कीम अर्थात् NPS रखा गया!

2004 से लेकर 2013 तक अध्यादेश के माध्यम से इस योजना को बनाए रखा गया! तत्पश्चात 2013 में UPA सरकार द्वारा PFRDA एक्ट पास कर इस योजना को परमानेंट किया गया था।

अब हम NMOPS के बारें मे जानते हैं।

NMOPS एक परिचय

NMOPS अर्थात् नेशनल मूवमेंट फ़ॉर ओल्ड पेंशन स्कीम नामक एक गैर लाभकारी संगठन हैं! जिसमें पुरानी पेंशन बहाली के लिए विचारों का आदान-प्रदान किया जाता हैं और योजना बनाई जाती हैं! जिसके माध्यम से पुरानी पेंशन जो हमारा हक है को लागू करवाना हैं! इसी के लिए कर्मचारी लामबंद होकर NPS का विरोध प्रदर्शन कर रहे है।

एनएमओपीएस की official website- NMOPS.ORG.IN हैं!

NMOPS का सिर्फ़ एक ही उद्देश्य हैं- ” पुरानी पेंशन बहाल हो”

NMOPS राष्ट्रीय कार्यकारिणी

Shri VIJAY KUMAR ‘BANDHU’ National President, NMOPS
and State President ATEWA,
UTTAR PRADESH

Shri SUKHJIT SINGH Vice-President, NMOPS
and Rajasthan Prabhari and State President CPFEU,
PUNJAB

Shri G. STHITA PRAJANA General Secreatry, NMOPS
and
State President TSCPSEA,
TELANGANA

Shri RAMANAYANJEYELLU PALELA Treasurer, NMOPS
and
State President APCPSEA, ANDHRA PRADESH

Shri Naresh Thakur Advisor, NMOPS
and
State President NPSEA,
HIMACHAL PRADESH

NMOPS का संघर्ष काबिले-तारीफ़ हैं।

2018 में रामलीला मैदान में।

30 अप्रैल 2018 को रामलीला मैदान दिल्ली में लाखो कर्मचारी एनएमओपीएस बेनर तले इकट्ठे होकर एनपीएस गो बैक के नारे लगाते देखें गए!

राजस्थान में भी पुरानी पेंशन बहाली राष्ट्रीय आंदोलन की प्रथम बैठक जोधपुर जिले में 15 अप्रैल 2018 को आयोजित हुई ! राजस्थान के हजारों कर्मचारी 30 अप्रैल व 26 नवंबर ,2018 को रामलीला मैदान दिल्ली में धरना व सभा में शामिल हुए!


इसके बाद 26 नवंबर 2018 को रामलीला मैदान दिल्ली में पुनः एनपीएस के खिलाफ लाखो कर्मचारी इकटे हुए! दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कर्मचारियों की मांगों का समर्थन किया।

हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान प्रदेश व झारखंड के विधानसभा चुनाव में वहां की विपक्षी पार्टियों ने एनपीएस को
खत्म कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की बाते अपने चुनावी मेनिफेस्टो मे रखी थी।

दिल्ली के प्रदेश अध्यक्ष मनजीत सिंह पटेल और राष्ट्रीय कार्यकारिणी के अनुरोध पर दिल्ली विधानसभा से पुरानी पेंशन योजना का प्रस्ताव पास का कर्मचारियों के समर्थन में अपनी मंशा स्पष्ट कर दी।
28 जनवरी 2019 से 1 फरवरी 2019 तक जंतर-मंतर पर भारत के लाखों कर्मचारियो द्वारा कार्मिक धरना दिया गया।

विभिन्न राज्यों में पुरानी पेंशन बहाली चर्चाएं

28 जनवरी से 1 फरवरी 2019 जंतर मंतर दिल्ली में कार्मिक धरने पर राजस्थान के हजारों कर्मचारियों द्वारा भाग लिया गया! इसके बाद 12 फरवरी 2019 को राजस्थान के प्रत्येक जिले पर एक दिवसीय धरना प्रदर्शन व ज्ञापन किया गया! 5 जुलाई 2019 को राजस्थान के कर्मचारियों द्वारा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री राज्यपाल व मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन प्रत्येक उपखंड अधिकारी को दिया गया! 8 अगस्त 2019 को “अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन” की तर्ज पर “एनपीएस भारत छोड़ो” अभियान राजस्थान के प्रत्येक जिला मुख्यालय पर धरना व ज्ञापन प्रेषित किया गया!


5 सितंबर 2019 को शिक्षक दिवस पर “एनपीएस ज्ञान चक्षु खोलो “अभियान स्कूल व कार्यालय स्तर पर काली पट्टी बांधकर राजस्थान के कर्मचारियों द्वारा प्रदर्शन किया गया!
31 अक्टूबर 2019 को राष्ट्रीय संकल्प दिवस पर पुरानी पेंशन बहाली का संकल्प “पोस्टकार्ड हस्ताक्षर” अभियान चलाया गया! 9 नवंबर 2019 को दिल्ली में पेंशन सत्याग्रह मे राजस्थान के कर्मचारियों ने भाग लिया।
22 दिसंबर 2019 को राजस्थान के कर्मचारियों द्वारा काली पट्टी बांधकर एनपीएस का विरोध किया गया।


9 नवंबर 2019 से लगातार पेंशन सत्याग्रह पर बैठे हजारों कर्मचारियों को सरकार से उम्मीद थी ! कि दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले सरकार उनकी मांगों पर निश्चित रूप से अमल करेगी और शोषणकारी व्यवस्था को खत्म करेगी! फिरसे उनके हिस्से को कम से कम जीपीएफ यानी जनरल प्रोविडेंट फंड का दर्जा प्रदान करेगी! और 20 साल की सेवा के पश्चात अंतिम बेसिक सैलरी रिपोर्ट न्यूनतम पेंशन की गारंटी सुविधा का हक प्रदान करेगी! और महंगाई भत्ते फेसिलिटी और पे रिवीजन की सुविधा प्रदान करेगी!

ट्वीटर पर ट्रेंड पर #restoreoldpension

कोरोना बीमारी के दरमियान लाखो कर्मचारी लगातार सोशल मीडिया पर #ओपीएस लिखकर सरकार का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रहे है! ट्वीटर पर कई वर्षों से #ओपीएस को कर्मचारियों के द्वारा ट्रैड कराया जा रहा है! 26 जून 2020 को भी #रिस्टॉरओल्डपेंशन लगभग 500000 ट्वीट कर कई घंटो तक भारत में टॉप ट्रेड कराया गया। फेसबुक एवं अन्य सोशल मीडिया पर हर रोज हजारो कर्मचारी #ओपीएस या #RESTOREOPS लिखकर वायरल कर रहे हैं।

रक्षाबंधन पर सोशल मीडिया के माध्यम से लाखों महिला कर्मचारियों ने सरकार को राखी भेजी जो इस आन्दोलन को आजादी के बाद कर्मचारियों का सबसे विशाल आन्दोलन तय करती है! जिसमें आज लगभग 65 लाख कर्मचारी परिवार जुड़े हैं, और हर रोज और अधिक कर्मचारी जुड़ते जा रहें हैं!

लगातार धरने प्रदर्शन से निकला परिणाम

नवंबर 2018 को सरकार द्वारा एक आदेश जारी कर केन्द्रिय कर्मचारियों के लिए अपना हिस्सा 10 से 14% तथा सेवानिवृत्ति पर मिलने वाला 60% राशि टैक्स फ्री कर दी गई!

NPS ( न्यू पेंशन स्कीम)क्या हैं और इसका विरोध क्यों हो रहा हैं?

न्यू पैशन स्कीम के तहत कर्मचारियों की बेसिक सैलेरी और महंगाई भत्ते से 10% हिस्सा काट लिया जाता है! और उसी के बराबर अर्थात् 10% राशि सरकार के द्वारा मिलाकर तीन कंपनियों में निवेश कर दिया जाता हैं!

ये companies हैं-

  1. LIC
  2. UTI
  3. SBI

इन तीनों companies में लगभग बराबर-बराबर निवेश कर दिया जाता है! फिर ये companies इस पैसे को अलग-अलग फंड मैनेजर के माध्यम से निवेश करती है! जहां वह रकम कर्मचारी के सेवानिवृत्ति तक जमा रहती है! रकम के 40% हिस्से से कर्मचारी को पेंशन देनी होती है! तथा 60% हिस्से को कर्मचारी की सेवानिवृति पर उसको देने का प्रावधान किया गया है!

किंतु इस बात की पुष्टि नहीं हो पा रही है कि जिस तरह पुरानी पेंशन योजना अर्थात् ओपीएस के तहत रिटायर्ड कर्मचारी को उसकी अंतिम सैलरी का 50% पेंशन के तौर पर जिसमें महंगाई भत्ता
साथ मिला कर दिया जाता है और हर माह मै उसकी पेंशन में महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी होती रहती हैं! साथ ही साथ हर साल 3% इन्क्रीमेंट भी मिलता रहता था किंतु NPS के तहत सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को अंतिम बेसिक सैलरी का कितने प्रतिशत पेंशन प्राप्त होगी यह आज तक स्पष्ट नहीं हो पाया!

कर्मचारियों का पैसा इन कंपनियों में जोखिम के तहत निवेश किया जा रहा है! कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के पश्चात इसी एनपीएस में जमा हुई रकम के 40% से कर्मचारियों को पेंशन दी जानी है! जबकि 60% रकम सेवानिवृत्ति के बाद कर्मचारियों को दे दी जाएगी!

इसकी भी पुष्टि नहीं हो पा रही है कि जिस तरह पुरानी पेंशन योजना! अर्थात् ओपीएस के तहत रिटायर्ड कर्मचारियों को उसके अंतिम सैलरी का 50% पेंशन के तौर पर महंगाई भत्ते के साथ मिला कर दिया जाता है! और हर माह उसकी पेंशन में महंगाई भत्ते की बढोतरी होती रहती है! सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के लिए अपना हिस्सा 10% से बढ़ाकर 14% कर दिया हैं!

रूपरेखा स्पष्ट नहीं


पीएफआरडीए के तहत संपूर्ण राशि का केवल 15% शेयर मार्केट में लगाया जाना था जबकि 85% सरकारी प्रतिभूतियों में! किंतु आज तक पीएफआरडीए इस बात की पुष्टि नहीं कर सका है कि समस्त धनराशि का 85% कहां लगा हुआ है! और 15% का लगाया गया हैं! पीएफआरडीए यह भी जानकारी नहीं दे पा रहा है कि न्यूनतम रिटर्न की गारंटी नहीं हैं!

कर्मचारियों का कहना है कि इस समय धनराशि को कंपनियों द्वारा शेयर मार्केट में लगा रही है! क्या उनका पैसा सुरक्षित हैं! नोटबंदी और कोरोना महामारी के दरमियान कर्मचारियों को हजारों करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ! यह नुकसान केवल कर्मचारी का ना होकर देश का भी हुआ है! अर्थव्यवस्था के लिए भी यह अच्छा नहीं है!

NPS में महंगाई भत्ते का प्रावधान नहीं हैं।

NPS में इन्क्रीमेंट का कोई प्रावधान नहीं


एनपीएस में एक बार जो पेंशन तय हो जाती है उसमें कभी कोई वृद्धि नहीं होती है! भारत जैसे देश में हर साल 70000 करोड़ से अधिक का पेंशन के नाम पर इन्वेस्टमेंट और रिटर्न की गारंटी ना होना बेहद निराशाजनक और दुर्भाग्यपूर्ण है! इस व्यवस्था में कर्मचारियों को मिनिमम पेंशन की गारंटी भी नहीं है! जबकि पुरानी पेंशन व्यवस्था ओपीएस में 9000 रुपये की सेवानिवृत्ति के पश्चात न्यूनतम पेंशन की गारन्टी होती थी।

कर्मचारी की मृत्यु हो जाने पर फैमेली पेंशन नहीं

2004 से पहले आये कर्मचारियों
की सेवाकाल के दौरान मृत्यु हो जाने पर फेमेली को फैमेली पेंशन प्राप्त होती हैं! 2004 अर्थात् एनपीएस लागू होने के बाद से
सेवा के समय कर्मचारी की मृत्यु होने पर फैमेली को पेंशन तभी मिलेगी जब उस कर्मचारी के NPS अकाउंट में समस्त जमा राशि सरकार के खातें में जमा हो!

कर्मचारी इस नीति को हड़प नीति की संज्ञा दे रहें हैं! कर्मचारियो का आरोप हैं की सरकार कर्मचारियो के हिस्से को अनैतिक आधार पर हड़प रही हैं! कर्मचारियो की समस्त धनराशि आज निजी कंपनियो में डाल रखी हैं! और आये दिन ना जाने कितने घोटालें सामने आ रहे हैं!


15 जनवरी 2019 आईएल & एफएस टेक्स नामक कंपनी में 92000 करोड़ रुपए स्लोडाउन का शिकार हो गए! जिसमे 16000 करोड रुपये कर्मचारियों के पेंशन फंड के थे! ईसकी पुष्टि स्वयं पीएफआरडीए ने की थी! इन समस्याओं के कारण कर्मचारियों की नींद उड़ी हुई है!

नेताओं को OPS क्यों??

सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि आज भी सभी
निर्वाचित सदस्य चाहे विधायक हो या सांसद हो। सभी पुरानी पेंशन ही ले रहे हैं! यदि कोई विधायक सांसद बन जाए और फिर मंत्री तो वह तीन-तीन बार पेंशन का हकदार हो जाता है! आज भी सुप्रीम कोर्ट के जज डिस्ट्रिक्ट जज और आयोग के सदस्य साथ ही तीनों सेनाधिकारियों को पुरानी पेंशन स्कीम प्रदान की जा रही है।


कर्मचारियो की कामना है कि एक देश में एक ही पेंशन नीति होनी चाहिए! जबकि उन्हें आज संवैधानिक ढंग से दो अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया गया है! उनके साथ पेंशन मामले मे सौतेला व्यवहार किया जा रहा हैं!

कर्मचारियों का मानना है कि NPS न सिर्फ़ कर्मचारियों के लिए नुकसानदायक है! बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी घातक है! क्योंकि यह समस्त रकम बिना गारंटी ऐसी कंपनी में इन्वेस्ट किए जा रहें जिन पर सरकार की लगाम नहीं हैं! इसलिए इस प्रकार से निश्चित रूप से देश की अर्थव्यवस्था एक दिन गर्त मे जायेगी!

NPS से पेंशन 😔 पेंशन नहीं, टेंशन 😔

आज एनपीएस के तहत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को कई 1000 तो कई 2000 की पेंशन प्राप्त हो रही है! जिसके कारण कर्माचारी हर राज्य में लगातार विरोध प्रदर्शन करते चले आ रहे हैं ! राजस्थान जैसे बड़े राज्य में है जहाँ 4 लाख से अधिक कर्मचारी एनपीएस के दायरे में आते हैं!वहां 16 साल बीत जाने के बाद भी आज तक एन पी एस भी ठीक तरह से लागू नहीं हो सकी है!

जिसके कारण ना तो उनके एनपीएस अकाउंट में 10% कर्मचारियों के वेतन से काटकर पूर्ण रूप से जमा की जा सकी है! और ना ही सरकार ने उसमें अपना हिस्सा मिलाया और ना ही कोई रिटर्न प्राप्त हुआ!
जबकि कई कर्मचारी सेवानिवृत्ति के करीब भी पहुंच गए और कई कर्मचारी तो सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं! ऐसे कर्मचारियों को कुछ को तो पेंशन ही नहीं मिल रही है कुछ को बहुत कम मिल रही है, जिसके कारण उनकी सामाजिक सुरक्षा उनका बुढ़ापा उनका सम्मान, उनका स्वाभिमान सब खतरे में हैं! जिन कर्मचारियों के पास अकाउंट में थोड़ी बहुत राशि जमा हो पाई उन्हें 200- 400 की पेंशन मिल रही है।

OPS से सरकार को भी फायदा होगा।

कोरोना महामारी के चलते पूरे देश और प्रदेश
में सरकारी वित्तीय आपातकाल जैसे हालात है! सरकारी व्यवस्था वैटिलेटर पर हैं! सरकार को पैसे की सख्त जरूरत हैं! एसे में यदि एनपीएस बंद कर दी जाती है तो सरकारी खजाने में अरबों रुपए आएंगे! 31 जनवरी तक के आंकड़ों के अनुसार अभी तक केंद्र सरकार के कर्मचारियों के 136000 करोड़ रुपए तथा राज्य सरकारों के कर्मचारियों के लगभग 206000 करोड रुपए शेयर बाजार आधारित कंपनियों में लगा रखे हैं !जो किसी भी समय डूब सकते हैं।

अब यदि सरकार एनपीएस बंद कर दे तो और सरकाररी कर्मचारियों के हिस्से को जीपीएफ में कन्वर्ट कर दे तो सरकार के
खातो में अरबो रुपए आ जाते हैं! इससे ना केवल सरकार की लिक्विडिटी बढ़ेगी बल्कि सरकारी कर्मचारियों का पैसा भी सुरक्षित हो सकेगा!

गणना

अगर हम मोटा-मोटा अनुमान लगाए तो राजस्थान में लगभग 400000 कर्मचारी एनपीएस के अंतर्गत है! जो 20000 से लेकर 100000 तक मासिक वेतन ले रहे हैं! इसका औसत( 60000 ) निकाल कर गणना करके देखतें हैं!-यदि 60000 प्रतिमाह से 10% कटौती का आंदोलन करें! और इतना ही (10%) सरकार द्वारा दिए जाने वाला धन जुड़े है! तो कुल मिलाकर लगभग पौने 5 अरब रुपए मासिक तथा लगभग 57 अरब रुपए वार्षिक केवल राजस्थान प्रदेश के होते हैं!

60000 × 10%= 6000 + 6000= 12000

12000× 400000= 4800000000 रू. मासिक।

4800000000×12 = 57600000000 रू. वार्षिक।

इस गणना में ब्याज को शामिल नहीं किया गया है।

सारांश

OPS पेंशन स्कीम में कर्मचारियो और सरकार, दोनों को फायदा होता हैं! जबकि 2004 से NPS लागू हो गया जिससे कर्मचारी और सरकार दोनों को नुकसान हैं!

पुरानी पेंशन बहाली के लिए राष्ट्रीय आंदोलन द्वारा समय-समय पर भारत व राजस्थान सरकार को ज्ञापन दिया गया है जिस पर
सरकार विचार कर रही हैं! इस बाबत लगातार सरकार के साथ वार्ताएं भी करता चला आ रहा हैं! देखना यह है कि पुरानी पेंशन कब बहाल होती है!

कहतें हैं-

कुछ किये बिना ही जय जयकार नहीं होतीं, कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।

जय हिंद!

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