Facial recognition payment

Facial recognition payment क्या हैं? यह कैसें काम करता हैं?

दोस्तों आज हम भारत में डिजिटल पेमेंट
टेक्नोलॉजी की तरफ तेजी से बढ़ रहे है। इसके
लिए हम Paytm, Phone pay, Google pay जैसे कई ऐप से डिजिटल पेमेंट
करते हैं। लेकिन, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन
Facial Recognition Payment टेक्नोलॉजी का सबसे
ज्यादा इस्तेमाल करता है। अर्थात् चीन के लोग चेहरे की पहचान से
पेमेंट करते हैं। इस समय चीन में लगभग 90 से भी ज्यादा शहरों में Facial recognition payment टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया
जा रहा है।

Facial recognition payment सिस्टम वह सिस्टम हैं जिसके माध्यम से आप कही भी,कभी भी केवल अपना चेहरा दिखाकर पेमेंट कर सकतें हैं।

अब वो दिन दूर नहीं हैं जब दुकानों के बाहर लिखा होगा चेहरा दिखाओ , सामान ले जाओ… इसके जरिए ग्राहक बिना समय गंवाए शॉपिंग कर सकते है। इसके अलावा ऐसा ही एटीएम भी लगाने की तैयारी
है जहां आप बिना डेबिट कार्ड के केवल अपना चेहरा दिखाकर कैश
निकाल सकेंगे।

हैं ना कमाल का । आइए जानते हैं कि ये कैसे काम करता हैं और इंडिया में यह सिस्टम कब तक लागू हो सकता हैं।

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चलिए देखते हैं इंडिया में क्या तैयारी कर रहा है RBI

Face recognition payment सिस्टम RBI इंडिया में भी शुरु करने जा रहा हैं। ताकि  देश के बैंकिंग सिस्टम को बेहतर और सुरक्षित बनाया
जा सकें।

ऑनलाइन बैंकिंग को और सुरक्षित बनाने के लिए रिजर्व बैंक
प्रक्रिया में बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है। इसके लिए
आरबीआई और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के बीच मंथन हो चुका है।

कैसे करतें है Facial recognition payment

Facial recognition payment करने के लिए हमें कैमरे से
कनेक्ट POS मशीन के सामने खडा होना होता हैं और पेमेंट हो जाता है। लेकिन
Facial recognition payment के लिए पहले हमें अपने चेहरे को बैंक अकाउंट या डिजिटल
पेमेंट सिस्टम से लिंक करवाना होता है। तभी जाकर हम चेहरे से पेमेंट कर सकतें हैं।

Facial recognition payment कैसे काम करता हैं?

अब हम देखते हैं की आखिर यह टेक्नोलॉजी काम कैसे करती
हैं। ये बायोमेट्रिक सॉफ्टवेयर की ही एक श्रेणी
है। यह किसी व्यक्ति के चेहरे की विशेषताओं को गणितीय रूप से
मैपिंग करती है, और डाटा को फेसप्रिंट के रूप में इकट्ठा करती है। ये
सॉफ्टवेयर किसी व्यक्ति की पहचान के लिए DEEP LEARNING ALGORITHM का प्रयोग करता है। चेहरे की विशेषताओं के आधार
पर लोगों की पहचान करने का यह कंप्यूटराइज्ड तरीका है। यह टेक्नोलॉजी कैमरे के माध्यम से चलती है।

वर्तमान में कैसें होता हैं ट्रांजैक्शन

अभी तक ऑनलाइन बैंकिंग में ट्रांजेक्शन ( 2FA ) के
जरिये पूरा होता है।

क्या होता हैं 2 FA ??

ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर डेबिट या क्रेडिट कार्ड से ट्रांजेक्शन पूरा करने में दो सुरक्षा स्तरों का इस्तेमाल किया जाता है, जिसे 2 FA ( टू फेक्टर ऑथेंटिकेशन ) कहते हैं।

प्रथम

पहले ग्राहक से कार्ड की डिटेल और सीवीवी
नंबर आदि की जानकारी लेकर ट्रांजेक्शन शुरू करने की मंजूरी दी
जाती है।

द्वितीय

फिर ओटीपी की जानकारी भरनी होती
है, जो ग्राहक के संबंधित मोबाइल नंबर पर आता है। इस प्रकार ट्रांजेक्शन पूरा होता हैं।

लेकिन इस प्रक्रिया से ऑनलाइन बैंकिंग की धोखाधड़ी
कम होती नजर नहीं आ रही है।

इसलिए RBI ट्रांजेक्शन को पूरा करने के लिए और भी कई
सुरक्षा इंतजाम शुरू करने की तैयारी कर रहा है। आरबीआई के प्रस्ताव के
अनुसार, ट्रांजेक्शन पूरा करने के लिए फेशियल रिकॉग्निशन,
आइरिस और लोकेशन जैसी जानकारियां भी महत्वपूर्ण साबित हो सकती हैं।
इसका मतलब है कि बैंकिंग करने वाले को अब ट्रांजेक्शन पूरा
करने के लिए अपनी फेस, आइरिस ओर लोकेशन भी बतानी होगी।

Facial recognition payment की आवश्यकता क्यों महसूस हुइ?

RBI की माने तो देश में जैसे-जैसे डिजिटल बैंकिंग में
इजाफा हुआ हैं वैसे-वैसे ऑनलाइन फ्रॉड की संख्या में
भी बढ़ोतरी हुइ है। देश में डिजिटल लेनदेन 13 फीसदी
सालाना की दर से बढ़ रहा है, जबकि मोबाइल वॉलेट में 50
फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हो रही है।

केवल वर्ष 2019 में बैंकिंग फ्रॉड से
71,543 करोड़ रुपये की चपत लगी थी। और अप्रेल 2019 से ऑनलाइन बैंकिंग फ्रॉड के 8,926 मामले सामने आ
चुके हैं। इससे 18 सरकारी बैंकों को करीब 1.17 लाख करोड़
रुपये का नुकसान हुआ है।

इन सभी बातों को देखकर RBI मे अपने बैंकिंग सिस्टम में बदलाव की सोचा हैं।

अब यह भी जान लेते हैं कि face recognition payment के क्या फायदे और क्या नुकसान हो सकते हैं।

Facial recognition payment से क्या फायदे होंगे?

  1. अपराधियों को पकड़ने में सहायता मिलेगी।
  2. पेमेंट करना आसान होगा।
  3. कैश की जंजट खत्म हो जायेगी।
  4. कोई डेबिट या क्रेडिट कार्ड रखने की जरूरत नहीं होगी।
  5. शॉपिंग करना आसान होगा।
  6. लापता लोंगो को पकड़ा जा सकेगा।
  7. अज्ञात शवों की पहचान मुमकिन हो पाएगी।

लेकिन
इससे कई लोग FRP से चिंतित हैं। क्योंकि उनका
मानना है कि नागरिकों की आजादी को लेकर ये जोखिम भरा हो सकता है।

फेसियल रेकग्निशन पेमेंट से क्या नुकसान हो सकते है?

  1. अपनी प्राइवेसी छिनने का डर हमेशा बना रहेगा।
  2. चेहरे पर कोई चोट या घाव हो जाए तो पेमेंट नहीं कर सकते, पहलें बैंक जाकर फेस Update करवाना होगा।
  3. कत्ल करना, मारना के मामलें बढ़ सकतें हैं।

4. फेस डाटा हेक होने का भी डर हमेशा बना रहेगा।

जिस प्रकार फोन नंबर और ई-मेल
आईडी के पासवर्ड डाटाबेस में स्टोर होते हैं, वैसे ही फेस का डाटा
भी कंपनियों के डाटा में स्टोर हो जाता है तो ये कम्पनीयाँ किसी वजह से
यूजर्स का डाटा लीक करती है तो बड़ी मुश्किलें खड़ी हो जाएंगी।
क्योंकि पासवर्ड हैक हो जाने के बाद बदला जा सकता है, लेकिन फेस डाटा को बदलना असम्भव सा कार्य लगता हैं।

फेसियल रेकग्निशन पेमेंट की शुरुआत कहाँ से हुइ?

इस की शुरुआत चीन
में साल 2017 से हुई थी। फेशियल रिकॉग्निशन सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल पहले से ही बड़े स्तर पर किया जाता रहा है। लगभग हर
क्षेत्र में यह टेक्नोलॉजी काफी मददगार साबित हुई है। अब इसे
पेमेंट प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा हैं।

अमेरिका में फेशियल रिकॉग्निशन विरोध किया गया

अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया हैं कि फेस डाटा किस तरह से
इकट्ठा किया जाएगा और इसका इस्तेमाल कैसे किया जाएगा।
इस डाटा स्टोरेज को कैसे नियमित किया जाएगा।

यह भी हो सकता है कि ये बड़ी कम्पनियाँ फेस पेमेंट सिस्टम का इस्तेमाल आम लोगों की निगरानी
के लिए कर सकती है।

Google की पेरेंट कंपनी alphabet के CEO
सुंदर पिचाई ने भी यूरोपियन यूनियन की तरफ से
फेशियल रिकॉग्निशन पर अस्थाई रोक लगाने के प्रस्ताव को माना हैं।
उन्होनें कहा कि-

  • सरकार को इस मामले को जल्द निपटाना चाहिए।
  • इस टेक्नोलॉजी के लिए फ्रेमवर्क भी तैयार करना होगा।
  • विशेषज्ञों को फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी को कैसे उपयोग किया जाए, इस पर भी विचार करना होगा।

सैन फ्रांसिस्को अमेरिका में फेशियल रिकग्निशन तकनीक को बन्द कर दिया

अमेरिका में असंतोष पढ़ने के बाद सैन फ्रांसिस्को पहला शहर बना जिसने फेस रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी को बेचने और इस्तेमाल करने दोनों पर रोक लगाया गया यह कार्य मई 2019 में किया गया।

फिर भी कई देशों की कंपनियां फेशियल रिकग्निशन तकनीक का उपयोग कर रही हैं।

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